यह दुनिया है कभी ना समझ पाया मै, इसका क्या है दस्तूर कभी ना जान पाया मै |
कभी लगते यहाँ खुशियों के मेले कभी घिर आते गमो के काले अँधेरे |
कभी लगता है मै हूँ शायद सबसे खुशनसीब , कभी लगता मुझसे बदनसीब नहीं कोई |
कभी मुझसे मिलने आते सभी , कभी मेरे जाने पर भी नहीं मिलता मुझसे कोई |
यहाँ खुशियों में देते है पराये भी साथ , और गम में हो जाते है कुछ अपने भी दूर |
कभी लगता है ये दुनिया है कितनी खूबसूरत , कभी लगता इस दुनिया से बुरा कुछ नहीं |
कभी ये अहसास दिलाती है मुझे अपने होने का , कभी ये बन जाती बिलकुल अनजान |
कभी लगता है मै इस दुनिया से कभी ना जाऊ , कभी लगता है मै इस दुनिया में आया ही क्यों |
यह दुनिया है कभी ना समझ पाया मै, इसका क्या है दस्तूर कभी ना जान पाया मै |
Tuesday, September 28, 2010
kaun ho tum
कौन हो तुम जो मेरे ख्यालो में बसी रहती हो , कौन हो तुम जो मेरे ख्वाबो में आती रहती रहती हो |
कौन तो तुम जिसकी आहट अक्सर सुने देती है मुझे ,
कौन हो तुम जिसके साये को हरदम पास महसूस करता हूँ मै,
कौन हो तुम जिसके लिए बेक़रार हूँ मै हर घडी हर पल |
कौन हो तुम जो सावन की बरसात की तरह रिमझिम सी बरस जाती हो ,
जिसके आने से गम में ख़ुशी , अँधेरे में रौशनी और बेजानो में भी जान आ जाती है ,
जिसके आने से महफ़िल जगमगा जाती है और बुझी शमाएँ भी जल जाती है |
कौन हो तुम जिसकी कभी कोई मिसाल ना दे पाया मै ,
जिसको दी हर उपमा मुझे फीकी जान पड़ी |
कौन हो तुम जिसकी झील सी गहराई कभी ना नाप पाया मै ,
जो मुझे जिस भी हालात में मिली , मेरी आकांक्षाओ से ऊंची मिली |
कौन हो तुम जिसने मुझे जीने का मकसद दिया ,
जिसने मुझे जीवन के हर मोड़ पर जीने का अहसास दिया |
कौन हो तुम जो मेरी प्रेरणा बन सदा प्रेरित करती हो मुझे ,
जो निराशा में भी आशा बन आत्मबल देती हो मुझे |
कौन हो तुम जो मेरी जिंदगी से भी बढ़कर हो मेरे लिए |
कौन हो तुम , कौन हो तुम , कौन हो तुम |
कौन तो तुम जिसकी आहट अक्सर सुने देती है मुझे ,
कौन हो तुम जिसके साये को हरदम पास महसूस करता हूँ मै,
कौन हो तुम जिसके लिए बेक़रार हूँ मै हर घडी हर पल |
कौन हो तुम जो सावन की बरसात की तरह रिमझिम सी बरस जाती हो ,
जिसके आने से गम में ख़ुशी , अँधेरे में रौशनी और बेजानो में भी जान आ जाती है ,
जिसके आने से महफ़िल जगमगा जाती है और बुझी शमाएँ भी जल जाती है |
कौन हो तुम जिसकी कभी कोई मिसाल ना दे पाया मै ,
जिसको दी हर उपमा मुझे फीकी जान पड़ी |
कौन हो तुम जिसकी झील सी गहराई कभी ना नाप पाया मै ,
जो मुझे जिस भी हालात में मिली , मेरी आकांक्षाओ से ऊंची मिली |
कौन हो तुम जिसने मुझे जीने का मकसद दिया ,
जिसने मुझे जीवन के हर मोड़ पर जीने का अहसास दिया |
कौन हो तुम जो मेरी प्रेरणा बन सदा प्रेरित करती हो मुझे ,
जो निराशा में भी आशा बन आत्मबल देती हो मुझे |
कौन हो तुम जो मेरी जिंदगी से भी बढ़कर हो मेरे लिए |
कौन हो तुम , कौन हो तुम , कौन हो तुम |
Monday, September 27, 2010
Ek Bar Pyar Karke to dekho
एक बार प्यार करके तो देखो
धरती पर बन ना जाये स्वर्ग तो कहना , एक बार प्यार करके तो देखो।
जीवन क्या है जान न जाओ तो कहना , एक बार किसी का बन के तो देखो ।
कौन है अपना, कौन पराया फिर इन बातो मे क्या है रह्ना ,
तेरा क्या है , मेरा क्या है भूल ना जाओ तो कहना ,
सब मिल कर एक बार गीत गाकर तो देखो ।
क्या ढूढ़ते तो तुम यहाँ- वहाँ , क्यों भटकते हो तुम इधर- उधर,
सब मिलेगा तुम्हे अपने अन्दर , एक बार अपने मन को टटोल कर तो देखो |
सब मिलेगा तुम्हे अपने अन्दर , एक बार अपने मन को टटोल कर तो देखो |
क्यों हो अनजान उस रहस्य से, जिसमे सारी सृशटी समाई ,
जो मानवजन के लिए वरदान है और इस प्रकृति का उपहार है ,
उस रस को एकबार आत्मसात करके तो देखो, एक बार प्यार करके तो देखो|
जो मानवजन के लिए वरदान है और इस प्रकृति का उपहार है ,
उस रस को एकबार आत्मसात करके तो देखो, एक बार प्यार करके तो देखो|
ये दुनिया तो रोकेगी तुम्हे , टोकेगी और बरगलाएगी , पर तुम ना रुकना , तुम ना पीछे हटना , एक तुम्ही तो हो जो बदल सकते हो इस जहाँ को , एक बार , सिर्फ एक बार प्यार करके तो देखो |
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